साइलेज बनाने की विधि ?

गुणवक्ता युक्त साइलेज बनाने की विधि :

परिचय :

हरा चारा न केवल पशुओ के लिए बुनियादी आहार है बल्कि पोषक तत्वों का किफायती स्त्रोत भी है। हमारे देश में पशुओ की संख्या और चारे की खेती के सिमित क्षेत्रफल के कारण हरे चारे की बहुत कमी है । इसलिए साइलेज के रूप में संरंक्षित हरे चारे की उपलब्धता पशुओ की उत्पादकता को बनाये रखने के लिए बहुत आवश्यक है। पुरे साल विभिन्न मौसमो में उच्च गुणवक्ता युक्त चारे की नियमित आपूर्ति के लिए साइलेज के रूप हरे चारे का संरक्षण एक उचित विकलप है । हम इस पोस्ट में साइलेज बनाने की विधि के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे जिसमे हम साइलेज को बनाने से लेकर भण्डारण तक की विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करेंगें।

साइलेज बनाने की विधि
साइलेज बनाने की विधि

साइलेज बनाने की विधि :

  1. एक बंकर या साइलो नुमा गढा का निर्माण करें । 
  2. फसल की कटाई 35 प्रतिशत शुष्क पदार्थ के अवस्था में करें।
  3. अगर जरुरी हो तो कटी हुई फसल को 35 प्रतिशत शुष्क पदार्थ आने तक धुप में सुखाये।
  4. चारे को छोटे टुकड़े (1-2 से मी लम्बे ) में काटे और 30 से मी की परत दर परत रखते हुए साइलो में भरे और साथ ही ट्रेक्टर या पैरो से अच्छी तरह से कसकर दबाए ।
  5. चारा काटने , भरने और दबाने की प्रक्रिया को निरन्तर जारी रखें।
  6. जरूरत के अनुसार साइलो में चारा भरने के दौरान योगशील पदार्थो जैसे गुड़, नमक , जीवाणु कल्चर व जैविक अम्ल का उचित मात्रा में प्रयोग करें ।
  7. प्रति एक टन ( 1000 किलोग्राम ) चारे पर 5 किलो सूखा गुड़ , 250 ग्राम नमक और जैविक अम्ल जैसे की प्रोपियोनिक या एसिटिक अम्ल की 100 मिलीलीटर की मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर परत दर परत चारे पर छिड़काव कर सकते है ।
  8. भरने और दबाने की प्रक्रिया को जल्दी से एक या दो दिन में पूरा करें और ढकने से पहले चारे की सबसे ऊपरी परत पर नमक ( 1 किलो ) और सूखा भूसा डालें तथा कसकर दबाए।
  9. साइलो को मोटी पॉलीथिन चादर से पूर्णतः सील कर दे।
  10. चादर के ऊपर भूसा , मिटटी की परत , चपटे पत्थर , रेट के बोरियो तथा पुराने टायरों का वजन रखे।
  11. अगर चपटे पत्थर, रेत की बोरिया , पुराने टायर उपलब्ध नहीं हो तो मिटटी की परत पर गोबर , चिकनी मिटटी और भूसे का लेप लगाकर अच्छे तरीके से बंद कर दे।

साइलेज को खोलने व पशुओ को खिलाने की विधि :

  1. साइलेज हरे चारे का विक्लप है और इसको हरे चारे की तरह ही पशुओ को उनकी इच्छा अनुसार खिलाया जा सकता है।
  2. साइलो बंकर को बंद करने के 45 दिनों बाद एक तरफ से खोले और 1 या 2 दिन की पशुओ के चारे की आवश्यकता अनुसार साइलेज निकलने के बाद उसे प्लास्टिक चादर से ढक दे
  3. शुरू में कुछ दिनों तक पशुओ को उनका आदि बनाने के लिए प्रतिदिन 5 किलोग्राम साइलेज को अन्य चारे के साथ मिलाकर खिलाये ।
  4. प्रीतिदिन एक पशु को 15 से 20 किलोग्राम साइलेज अन्य सूखे या हरे चारे और पशु आहार के साथ मिलाकर सुबह शाम मिलाकर खिलाएं।
  5. साइलो बंकर या प्लास्टिक बैग को खोलने के बाद प्रतिदिन पशुओ को साइलेज खिलाना जारी रखे जब तक बंकर साइलो बैग में साइलेज खत्म न हो जाये ।

अच्छे साइलेज की विषेशता :

  1. हल्का पीला , हरा व भूरे रंग का।
  2. नमी 65 प्रतिशत से कम, यानि शुष्क पदार्थ 35 प्रतिशत से ज्यादा ।
  3. प्रोटीन 8 से 10 प्रतिशत।
  4. लेक्टिक अम्ल की गंध से युक्त और 3 प्रतिशत से ज्यादा।
  5. पीएच 3.5 से 4.2 के बीच में है तो बहुत अच्छी गुणवक्ता है।
  6. साइलेज का पीएच जाँच के लिए 50  ग्राम साइलेज का सैंपल को 150 मिली लीटर डिसटिल पानी में मिलाये और 10 मिनट बाद पी एच मीटर या पी एच स्ट्रिप का प्रयोग करके पी एच मापें।

ख़राब साइलेज :

  1. पीएच 4.9 से ज्यादा , कला रंग , फंफूद या कवक युक्त और अमोनिया का अरुचिकर गंध वाला।
  2. ब्युट्रिक अम्ल 0.2 प्रतिशत से ज्यादा।
  3. ब्युट्रिक अम्ल और अमोनिया की गंध से युक्त .
  4. ख़राब साइलेज पशुओ को नहीं खिलाना चाहिए जिससे की पशुओ को बीमारी और अन्य प्रकार के नुकसान से बचाया जा सकें |

निष्कर्ष :

उपरोक्त साइलेज बनाने की विधि अनुसार हम अच्छा गुणवक्ता युक्त साइलेज बनाकर अपने पशुओ के लिए स्वस्थ व संतुलित आहार का निर्माण कर सकते है। इस साइलेज बनाने की विधि के अनुसार बनाया गया साइलेज लम्बे समय तक चलता है व हम उसका लम्बे समय तक उपयोग कर सकते है। हमने इस पोस्ट में साइलेज बनाने की विधि के बारे में विस्तारपूर्वक लिखा है व साइलेज व फार्मर प्रोडूयर आर्गेनाइजेशन के बारें में विस्तारपूर्वक और जानकारी प्राप्त करने के लिए संपर्क करें www.goriwalafpo.in

 

 

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