साइलेज क्या है ?

 परिचय

 

Silage bale in farm
Silage bale in farm

साइलेज एक वायुरहित अवस्था में संरक्षित हरा चारा है | हरा चारा न केवल पशुओ के लिए बुनियादी प्राकृतिक आहार है , बल्कि पोषक तत्वों का किफायती स्त्रोत भी है | हमारे देश में पशुधन की संख्या और चारे की खेती के सिमित स्त्रोत क्षेत्रफल के कारण हरे चारे  बहुत कमी है | हरे चारे की कमी से पशुधन की उत्पादक क्षमता प्रभावित होती है | फसल चक्रों में मौसमी बदलावों के कारण  पशुओ को पुरे साल हरा चारा उपलब्ध नहीं हो पाता है | विशेष रूप से ग्रीष्म कालीन के दौरान हरे चारे की समस्या और भी गंभीर हो जाती है | इन परिस्थिति में , पशु पालको या दुग्ध उत्पादकों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है | इस प्रकार की परिस्थिति में साइलेज के रूप में संरक्षित हरे चारे की उपलब्धता पशुओ की उत्पादकता को बनाये रखने के लिए बहु जरुरी है | वर्ष भर विभिन्न मौसमो में उच्च गुणवक्ता युक्त चारे की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए साइलेज के रूप में हरे चारे का संरक्षण एक उचित विकल्प है |इसमें नमीं की औसतन मात्रा 65 प्रतिशत होती है | या जिसमे शुष्क पदार्थ की मात्रा 35 प्रतिशत होती है | जिसमें शुष्क पदार्थ की मात्रा 40 से 60 प्रतिशत होती है , उसे हैलेज कहते है |  हरे चारे का एक वेकेलिपिक स्त्रोत है | जिसे किसी भी अन्य सूखे चारे , हरे चारे , व पशु आहार के साथ मिलकर पशुओ को खिलाया जाता है | सही तरीके से बनाया गया साइलेज , पशुओ के लिए हरे चारे के सामान पौष्टिक होता है |

साइलेज बनाने और लम्बी अवधि तक उचित भण्डारण

साइलेज बनाने की प्रक्रिया :-

हरा चारा फसलों की कुट्टी करके वायुरहित अवस्था में कम से कम 45 दिनों तक भण्डारण किया जाता है | ऐसी स्थिति में , भण्डारण किये गए चारे में निहित घुलनशील शर्करा , लैक्टोबैसिलस प्लेन्टेरम जीवाणुओं द्वारा किण्वन प्रक्रिया से लैक्टिक अम्ल में परवर्तित की जाती है | यह लैक्टिक अम्ल चारे को सुरक्षित रखने और पशु के प्रथम अमाशय में मौजूद जीवाणुओं के लिए सरलता से उपलब्ध किण्वन योग्य शर्करा के अच्छे स्त्रोत का कार्य करता है | उचित अवस्था में सरंक्षित साइलेज का  लगभग 2 वर्षो तक भण्डारण किया जा सकता है | यदि वायुरहित अवस्था को ठीक से नहीं बनाया गया तो , इसमें ब्युट्रिक अम्ल बन जाता है जो इसके स्वाद को ख़राब कर देता है |

साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त फसलें :-

अच्छी गुणवत्ता का साइलेज  बनाने के लिए चारे की फसल और किस्मो का चयन करना आवश्यक है | अन्न चारा फसलें और उनकी मीठी व रसदार तन्ने वाली किस्में , साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त होती है | साइलेज बनाने के लिए मक्का , ज्वार , जई, जो , ट्रिटिकल और गहुँ फसलें सबसे उपयुक्त होती है  जिसमे आसानी से किण्वित होने वाली शर्करा जैसे फ्रुक्टोज , ग्लुकोज, सुक्रोज , और फ्रुक्टोजन की मात्रा 6-7 प्रतिशत से अधिक होती है | इन फसलों के रसीले हरे चारे को वायुरहित अवस्था में दबाकर रखने से , जीवाणुओं द्वारा शर्करा के किण्वन से उत्पन्न कार्बनिक अम्लों के द्वारा आसानी से संरक्षित किया जा सकता है |

साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त फसलों की किस्में :-

  1. चारा मक्का :- अफ्रीकन टोल , प्रताप मक्का चरि-6, जे -1006 |
  2. संकर मक्का :- डी एम् आर एच -1410, पंजाब मक्का हाइब्रिड -1, प्रताप हाइब्रिड मक्का -3, डी एम आर एच -1308
  3. ज्वार :- पंत चरि-5 , सी अस वी -40 , हरियाणा ज्वार -541, सी ऐस एच 40 ऍफ़ , सी ऐस वी -35 फ |
  4. बहु कटाई ज्वार :- पंत चारि -6, सी ऐस एच 24 एम् ऍफ़ |
  5. जई:- यू पी औ-212, जे एच औ -822 , औ एल -10, जे एच ओ 99-2, एच जे -8|
  6. चारा जो :- आर डी -2035 , आर डी -2552 , और आर डी -2715 |
  7. गहुँ :- सी -306 , पी बी डब्लू -343 ,   पी बी डब्लू -550, राज- 3765 , एच डी-3118 , एच डी -2967 |

साइलेज बनाने के लिए आवश्यक सामग्री :-

  1. पक्का साइलो बंकर, पॉलीप्रोपिलीन साइलेज बैग , ढक्कन युक्त प्लास्टिक ड्रम  |
  2. कृषि उपकरण जैसे ट्रेक्टर, ट्रॉली  और ट्रेक्टर चलित चारा कटाई यंत्र , पावर कुटी मशीन |
  3. साइलेज की गुणवत्ता में सुधार के उपयुक्त योगशील पदार्थ जैसे गुड़ , नमक , लैक्टोबेसिलस प्लान्टेरम जीवाणु कल्चर और जैविक अम्ल का प्रयोग किया जा सकता  है |

मात्रा के अनुसार साइलेज बनाने में उपयोगी कृषि यंत्र :-

  • 50 से 500 टन तक का सिलेज बनाने के लिए – 55 से 65 हॉर्स पावर का ट्रेक्टर , ट्राली , डिस्क मोवेर , फ्रंट रीपर , ट्रेक्टर चलित कुटी मशीन , पावर युक्त कुट्टी मशीन |
  • 500 से 5000 टन तक का साइलेज बनाने के लिए -75 से 90 हॉर्स पावर का ट्रेक्टर , ट्रॉली , डम्पर , ट्रेक्टर चलित मोवर , चॉपर लोडर , 150 से 350 हॉर्स पावर युक्त सवचलित चारा हार्वेस्टर , फ्लेल मोवर |

साइलेज का भण्डारण :-

साइलेज बनाने और लम्बी अवधि तक उचित भण्डारण के लिए , किसानो द्वारा खेतो पर भंडारण के लिए विभिन्न प्रकार के साइलो का उपयोग किया जाता है | सतह साइलो बकर, प्लास्टिक बैग्स  और प्लास्टिक युक्त बेलर आवरण सरंचनाओं का साइलेज बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है | पशु फर्मो पर यह देखा गया है  की लम्बी अवधि के लिए साइलेज का बड़ी मात्रा में भंडारण करने हेतु कंक्रीट के सतही साइलो बनकर सबसे अच्छे पाए गए है | साइलो बनकर को सिविल इंजीनियर या आरकिटेक्ट की सलाह के अनुसार ऊँची जमीन  की समतल सतह पर बनाना चाहिए | साइलेज उपशिस्टो और वर्षा जल के निकास के लिए , कंक्रीट के फर्श को एक प्रतिशत ढलान के साथ बनाना चाहिए |

साइलो बंकर  की भंडारण क्षमता 3 से 500 मीट्रिक टन तक होती है | एक घन मीटर क्षेत्रफल का साइलो बंकर ( 1 मीटर *1 मीटर *1 मीटर ) 500 से 600 किलोग्राम तक कुट्टी किये हुए चारे का साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त होता है | 3 मीट्रिक टन साइलेज को 6 घनमीटर क्षेत्रफल के साइलो बनकर से संग्रहित किया जा सकता है | जिसकी लम्बाई 4 मीटर , चौड़ाई 1.5 मीटर , और ऊंचाई 1 मीटर हो | 12 से 15 मीट्रिक टन साइलेज को 24 घनमीटर  क्षेत्रफल के  साइलो बनकर में संग्रहित किया जा सकता है | जिसकी 6 मीटर लम्बाई , 4 मीटर चौड़ाई , और 0.9 मीटर ऊंचाई हो | साइलो बंकर में नीव की गहराई करीब 24 इंच और चौड़ाई 13.5 इंच होती है | 150 मीट्रिक टन क्षमता वाले साइलो की 18.2 मीटर या 60 फ़ीट लम्बाई , 9.2 मीटर या 30 फ़ीट चौड़ाई  और 1.5 मीटर या 5 फ़ीट ऊंचाई होती है |सामुदायिक या बड़े किसानो के स्तर पर 150 मीट्रिक टन क्षमता के बंकर साइलो के निर्माण पर लगभग 35 हजार रुपये का खर्च होगा | छोटे पशुपालक , साइलेज बनाने के लिए एच डी पी इ  या प्लास्टिक साइलो बैग का उपयोग कर सकते है | प्लास्टिक साइलो बैग में 50 से 100 किलोग्राम तक साइलेज का भण्डारण किया जा सकता है | इन बेगो की जीवन अवधि 3 से 4 वर्ष तक होती है , भण्डारण के दौरान चूहों और गिलहरी द्वारा छेद करने और काटने के कारन ये साइलो बेग शतिग्रस्त   हो जाते है |

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